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गाजा में आघात: संघर्ष की छाया में फंसे बच्चे

गाजा में चल रहे संघर्ष ने अपने सबसे छोटे निवासियों पर गहरे निशान छोड़े हैं, जिसमें लगभग हर बच्चे को मनोवैज्ञानिक आघात लग रहा है। हाल के पर्यवेक्षणों में आठ वर्षीय सामा तुबैल का मामला उजागर किया गया है, जिनका बाल झड़ना गंभीर "स्नायविक झटके" से जुड़ा था।

पिछले साल, डॉक्टरों ने बताया कि यह घटना उनके पड़ोसी के घर राफ़ा में हवाई हमले से प्रभावित होने के बाद हुई। सामा पर इसका भावनात्मक असर गहरा था जब उसे बाल झड़ने के कारण साथियों से धमकी का सामना करना पड़ा, जिससे उसने खुद को घर के अंदर बंद कर लिया। बाहर, वह अपनी नाजुक स्थिति को गुलाबी बैंडाना से ढक लेती है।

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि गाजा के लगभग 1.2 मिलियन बच्चों को अब बार-बार होने वाली दर्दनाक घटनाओं के कारण मनोवैज्ञानिक समर्थन की आवश्यकता है। यह कठोर आंकड़ा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक सहानुभूति की तात्कालिक आवश्यकता को दर्शाता है।

युवा सामा की कहानी निर्दोष और कमजोर पर संघर्ष के दीर्घकालिक प्रभाव की मार्मिक याद दिलाती है। जैसे-जैसे गाजा कठिनाइयों को सहन करता है, सामा जैसी कहानियाँ करुणामय समर्थन और तहस-नहस हुई ज़िंदगियों को फिर से बनाने के लिए लगातार प्रयासों की मांग करती हैं।

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