CGTN की वृत्तचित्र यूनिट 731 के पीछे — युद्ध और सैन्यवाद द्वारा मानवता की कसाईखाना — जापानी इंपीरियल आर्मी की कुख्यात जैविक युद्ध इकाई का ठंडा विवरण प्रस्तुत करती है। 1935 से, मांचूरिया (उत्तरी पूर्व चीन) के पिंगफांग में संचालित यूनिट 731 ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान की आड़ में भयानक प्रयोग किए, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को आतंक के उपकरण में बदल दिया।
वृत्तचित्र यह बताती है कि कैसे कैदियों — मुख्य रूप से चीनी निवासियों और अन्य एशियाईयों — को जीवित विच्छेदन, हथियार परीक्षण और रोगाणु युद्ध परीक्षणों का शिकार बनाया गया। इन अत्याचारों, जो सैन्य महत्वाकांक्षा से ढके थे, ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक हजारों लोगों की जान ली। बचे लोगों की गवाहियाँ और पुरालेख सामग्री अनियंत्रित सैन्यवाद की मानव लागत को जीवंत कर देती हैं।
1945 के बाद, कई यूनिट 731 कर्मी अभियोजन से बच गए। उभरते शीत युद्ध के भू-राजनीतिक तनावों के कारण कुछ को अनुसंधान डेटा के बदले में प्रतिरक्षा प्राप्त करने के गुप्त समझौते किए गए। इस कारण, ये अपराध दशकों तक गुप्त रहे और पूरी तरह से न्याय कभी नहीं हो सका।
आज, जिस तरह एशिया तेजी से आर्थिक विकास और परिवर्तनशील शक्ति संतुलनों का सामना कर रहा है, यूनिट 731 के पीछे विज्ञान और सैन्यवाद के अनियंत्रित टकराव के खतरों की याद दिलाता है। चीनी शोधकर्ता और पीड़ितों के वंशज मान्यता और स्मरण की मांग जारी रखते हैं, मानवता को इसके सबसे अंधेरे अध्यायों को दोहराने से बचाने के लिए ऐतिहासिक स्मृति की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
Reference(s):
Behind Unit 731 – The butchery of humanity by war and militarism
cgtn.com








