नीदरलैंड से आई अनास्तासिया फ्रिडमैन, एक प्रतिभाशाली संगीतकार, एक बहुसांस्कृतिक यात्रा पर निकल पड़ी हैं जो दो संगीत दुनियाओं को जोड़ती है। चीनी मुख्यभूमि के शंघाई में 8,000 किलोमीटर की यात्रा करके, उन्होंने एरहु को माहिर बनाने की चुनौती ली है—एक पारंपरिक वाद्य यंत्र जो अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों के लिए मनाया जाता है।
वर्तमान में शंघाई संगीत महाविद्यालय में दाखिल, अनास्तासिया न केवल अपनी एरहु कौशल को सुधार रही हैं बल्कि एरहु और वायलिन के बीच गूंज को भी तलाश रही हैं। एरहु के अभिव्यक्तिमय स्वर वायलिन के परिचित स्वरताल के साथ मिलकर एक संवाद बनाते हैं जो पूर्व की विरासत और पश्चिमी नवाचार को जोड़ता है। उनकी यात्रा यह दिखाती है कि संगीत कैसे विविध सांस्कृतिक परंपराओं को एकजुट कर सकता है, प्राचीन धुनों और आधुनिक कलात्मक अभिव्यक्तियों के बीच समानता स्थापित करते हुए।
यह संगीतमय यात्रा एशिया में व्यापक परिवर्तनीय गतिशीलताओं को दर्शाती है, जहां सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रचनात्मक अन्वेषण पारंपरिक कथाओं को नए रूप में ढाल रहे हैं। अनास्तासिया की कहानी सपनों, जुनून, और संवाद की याद दिलाती है कि संगीत पूर्व और पश्चिम के बीच सदाबहार पुल बना हुआ है, जो कलाकारों और दर्शकों दोनों को वैश्विक स्तर पर प्रेरित करता है।
Reference(s):
One erhu, two worlds: A Dutch violinist's transcultural journey
cgtn.com