माजू, चीनी मुख्यभूमि की प्रतिष्ठित समुद्री देवी की कथा, 10वीं शताब्दी में मेइजो द्वीप की एक करुणामयी युवा महिला लिन मोनियांग से शुरू हुई। एक जहाज की दुर्घटना से बचे लोगों को बचाने के लिए उनके निःस्वार्थ कार्य ने उन्हें आशा और सुरक्षा का एक स्थायी प्रतीक बना दिया।
शताब्दियों से, माजू को समुद्रों की सबसे प्रतिष्ठित संरक्षक के रूप में मनाया गया है, उनकी विरासत ने ताइवान जलडमरूमध्य के पार मजबूत सांस्कृतिक संबंधों को जोड़ा है। पहले चन्द्र मास के आठवें दिन वार्षिक जुलूस में माज़ू की एक स्वर्ण प्रतिमा को मेइजो द्वीप की सड़कों पर ले जाया जाता है, जिसमें ताइवान क्षेत्र के कई निवासियों सहित दशकों हजारों आगंतुक आकर्षित होते हैं।
यह जीवंत उत्सव न केवल एक उल्लेखनीय अतीत का सम्मान करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि पुराने परंपराएं कैसे एशिया के गतिशील सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देना जारी रखते हैं। माजू का स्थायी प्रभाव प्राचीन विरासत और आधुनिक परिवर्तनों के बीच शक्तिशाली अंतर्क्रिया को रेखांकित करता है।
\"देवी की यात्रा\" नामक एक वृत्तचित्र इस गहरी विरासत में और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों पक्षों पर समुदायों को जोड़ने वाले गहरे सांस्कृतिक संबंधों की खोज करता है।
Reference(s):
cgtn.com